वर्तमान समय ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट बनाना एक चमकदार कैरियर है, इस लेख में आज आपको इसी बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी। यह कोर्स मेडिकल से संबंद्ध कोर्स है। इस कोर्स को करने के उपरांत छात्र ऑक्यूपेशनल थेरेपी बन सकते हैं। ऐसे व्यक्ति जिनके मन में सेवा भाव है, उनके लिए यह बेहतर कैरियर विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसमें अक्सर ऐसे रोगियों का उपचार किया जाता है, जो मानसिक रूप से अक्षम होते हैं।
Everybody want to get success in his life and this blog is pioneer to your goal. This blog also teach how you motivate yourself and fulfill you desire.
Showing posts with label success mantra. Show all posts
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कैसे बनाए टेक्सटाइल डिजाइनिंग में कैरियर
टेक्सटाइल डिजाइनिंग रचनात्मक सोच के साथ कुछ नया करने की इच्छा रखने वाले युवों के लिए कैरियर का एक बेहतर विकल्प हो सकता है। साथ ही एक उद्योग के रूप में भी टेक्सटाइल उद्योग बड़ी तेजी के साथ उन्नति के शिखरों पर जा रहा है। भारत में टेक्सटाइल उद्योग पूरी तरह से टेक्सटाइल मैनुफैक्चरिंग एवं एक्सपोर्ट (निर्यात) पर आधारित है, जिसके चलते यह देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उद्योग में दिनों दिन होती उन्नति के कारण इस क्षेत्र में पेशेवरों की मांग में इजाफा होना भी लाजमी है और टेक्सटाइल डिजाइन इन क्षेत्र से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पेशा है।
किताब जो जीवन बदल दे
इस ब्लाॅक की सफलता से प्रभावित होकर इस ब्लाॅग इस ब्लाॅग के चुनिंदा लेखकों को संग्रहित करके ‘सफल बनने की कला’ नामक पुस्तक की रचना की गयी है। पुस्तक में ब्लॉग में दिए गए मोटिवेशनल लेखों को शामिल किया गया है। पुस्तक का मूल्य 120 रु निर्धारित किया गया है। सफल बनने की कला का उन सभी व्यक्तियों के लिए किया गया है, जो हर हालत में सफल होना चाहते है। पुस्तक ब्लाॅक के पाठकों को 30 प्रतिशत छूट के साथ उपलब्ध है।
डाइटीशियन (dietician) कैरियर का बेहतर विकल्प
एक पुरानी कहावत है कि जैसा खाए ‘अन्न वैसा रहे मन’ एक डाइटीशियन इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए कार्य करता है अर्थात एक डाइटीशियन ही आपको बेहतर सलाह दे सकता है कि आपको क्या खाना है, कितना खाना और कैसा कहना है, जिससे आपके तन के साथ-साथ आपका मन भी स्वास्थ्य रहे है। इस पोस्ट में हम आपको यही बताने जा रहे है कि ‘डाइटीशियन’ कौन होता है और डायटीशियन कैसे बना जा सकता है।
कैसे बनाए स्पोर्ट्स मैनेजमेंट (Sport Management) में कैरियर
स्पोर्ट्स मैनेजमेंट इंडस्ट्री शिखर को छू रही है। क्रिकेट, हॉकी, कबड्डी, कुश्ती, फुटबॉल, टेबल टेनिस जैसे लीग मैच के कारण स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में दिनों दिन अवसरों की संभावनाएं बढ़ रही है। इस तरह के खेल के आयोजन के समय इसका आयोजन करने वाले प्रफेशनल्स की डिमांड बढ़ रही है। हाल ही में स्पोर्ट्स इंडस्ट्री में तेजी से विकास हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक इस फील्ड में 8 लाख स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की नौकरियों की जरूरत होगी। स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में अपने कदम जमाने कदम जमाने के लिए योजना, संगठन, निर्देशन, नियंत्रण और नेतृत्व क्षमता का होना अति आवश्यक है।
बनाए समाज सेवा (Social Work) में बेहतर कैरियर
गैर सरकारी संगठन या एनजीओ ऐसे संस्थान होते हैं जो किसी विशेष मिशन के तहत चलाए जाते है। विभिन्न प्रकार की सामाजिक समस्याओं को हल करना और विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी विकास गतिविधियों को बढ़ावा देना गैर सरकारी संगठनों का कार्य होता है। पहले समाज सेवा में ऐसे लोग जुड़ते थे तो स्वयं के संसाधनों या दान के माध्यम से इस कार्य को किया करते थे। परंतु वर्तमान में स्थिति बदल चुकी है वर्तमान में एनजीओ समाज सेवा के साथ-साथ रोजगार का बेहतर विकल्प भी बन चुके हैं। इस पोस्ट में हम इसी विषय की चर्चा करेंगे की आप किस प्रकार से इस क्षेत्र में कैरियर बना सकते हैं।
रोजगार पाने का आॅनलाइन प्लेटफार्म: नेशनल कैरियर सर्विस पोर्टल
इस ब्लाॅक के माध्यम से हमारा उद्देश्य आपको समय-समय मोटिवेशनल अर्टिकल, समाचार, कहानियां, उद्धरण, कैरियर रोजगार और शिक्षा संबंधित जानकारी पेश करना है। इसी शंृखला में आपके समक्ष नैशनल कैरियर सर्विस पोर्टल के बारे मे जानकारी दे रहे हैं।
रिक्शा चालक की बेटी ने फहराया सफलता का परचम
वह न तो मुकदर की सिकंदर है न ही तकदीर की बेताज बादशाह, उसे बस अपने संघर्ष और अपनी लगन पर विश्वास था, उसे बस हर हाल में कामयाबी चाहिए। फिर चाहें कितनी भी मुसीबतें आ जाए, उसे तो हर हाल में जीत चाहिए। ‘जीत’ से कम पर उसने कभी समझौता नहीं करना सीखा। हम बात कर रहे हैं ‘ स्वप्ना बर्मन ’जिन्होंने हेप्टाथलन में भारत को पहला गोल्ड दिला कर इतिहास रच दिया।
डीटीपी आॅपरेटिंग भी है कैरियर का विकल्प
डीपीटी आॅपरेटिंग कैरियर का ऐसा विकल्प है जिसके बारे जनता देखने और सुनने को नहीं मिलता है, पर यह यह कैरियर का विकल्प बन सकता है। इसके लिए आपको किसी प्रकार की तकनीकी योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है। यह ऐसा कोर्स जिसे बहुत ही सरलता के साथ बहुत ही कम फीस खर्च करके किया जा सकता है।
अभिभावक मूक-बधिर, पुत्र फ्रांस में बनेगा रिसर्चर
मैंने पहले भी इस ब्लाॅक में कई बार लिखा है कि यदि व्यक्ति में कुछ करने का जज्बा हो तो परिस्थितियां उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। यदि कोई ठान ले कि मुझे कुछ करना है, तो फिर दुनिया की कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकती।
असम छोटे से गांव से निकलकर हिमा (Hima) ने रचा इतिहास
असम छोटे से गांव से निकलकर हिमा ने रचा इतिहास
गर इरादे बुलंद हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो दुनिया की कोई भी ताकत मंजिल पाने से नहीं रोक सकती है। ऐसा ही कुछ ऐथलेटिक्स ट्रेक इंवेट में देश के पहला गोल्ड जीत कर इतिहास रच देने वाली हिमा दास ने कर दिखाया।
Munh se painṭing karane vaalaa shakhsah henaree frijar
vah ragbee kaa prasiddh khilaadee thaa. Ragbee usakaa joonan thee lekin kismat ko kuchh hee tej bhaagate kadamon ko jaise kisee kee najar lag koii. Ek haadase unake saare aramaanon ko maṭiyaameṭ kar diyaa ab ragbee unake lie ek sapanaa see ban ga_ii. Huaa yoon ki varṣ 2009 men purtagaal men chhuṭṭee maanane ke lie ga_e the doston ke saath tairaagee ke dauraan henaree kaa sir patthar se ṭakaraa gayaa aur unake sir aur reeḍh kee haḍaḍaee par gnbheer choṭe lagee. Lekin henaree frijar aise shakhs kahaan haar maanane vaale hote hai unhonne to bas apanaa sapanaa hee dikhaa_ii detaa hai, unhen bas kaise n kaise apanee mnjil paanee hotee hai.
Safalataa kyaa hai? (what is success)
safal kaise banaa jaa_e? Yah ek jaṭil prashn hai. Safalataa koii chidiyaa naheen jise jaal mne fnsaa kar pinjare men bnd kar liyaa jaa_e yaa fir safalataa ped par naheen lagatee jise todakar khaa liyaa jaa_e. Safalataa naam hai sngharṣ kaa, yojanaa_on ko amal men laane kaa, prayaason, aashaa_on kaa, dhairy kaa. Kuchh logon ke lie safalataa maatr dhan kamaanaa hai, maatr dhan kamaane ko bhee safalataa naheen maanaa jaa sakataa. Dhan to safalataa kaa puraskaar maatr haiai. Samaaj men aksar aise log bhee dekhe jaa sakate hain, jo dhan-dhaany se sapann hone ke baavajood maanasik roop se sntuṣṭ naheen hai. Dhan-daulat hone par bhee aatmik roop se sntuiṣṭ naheen to aisee dhan-daulat kis kaam kee. Safal hone ke lie dhan ke saath aatmik tripti bhee atiaavashyak hotee hai. Ise hee safalataa kaa naam diyaa jaa sakataa haiai. Safalataa ke lie pratyek vyakti laalaayit rahataa hai, aur ho bhee kyon n safalataa jeevan kaa lakṣy jo hotee hai . Pratyek vyakti ke lie safalataa ke bhinn-bhinn roop ho sakate hain. Koii safal netaa bananaa chaahataa hai, to koii safal abhinetaa, sarakaaree naukaree paanaa chaahataa hai (government job) koii aaii. E. Es adhikaaree (ias officer) bananaa chaahataa hai, koii baink kaa egjaam kliyar (ipbs exam) karanaa chaahataa hai to koii kisee malṭeeneshanal knpanee kaa prabndhak. Koii safal khilaadee banaanaa chaahataa hai to koii safal gaayak. Kahane kaa taatpary hai, har koii safalataa praapt karanaa chaahataa hai. Asafalataa milane par ham use bhaagy ke matthe maḍh dete hain aur kahate hain ‘mere bhaagy men aisaa hee likhaa thaa. Aisee hee soch use niraashaa aur hataashaa ke gahare kuen me dhakel detee hai. Yahaan bhaagy kee aalochanaa karane kaa makasad naheen hai. Hotaa hogaa bhaagy bhee parntu isakaa yah arth naheen kadaapi naheen kee saaree jindagee bhaagy ko hee kosate hue apane karmon ko n dekhen. Bhaagy hamaare haath mnen naheen to kiyaa huaa safalataa ko driṣṭi men rakhakar karm karanaa to hamaare haath men. Svayn ko hee doṣ kyon n den. Kam hee log aise hote hain jo asafalataa ke lie svayn ke karmon ko kosate hai. Bhagavaan shreekriṣṇa ne geetaa men kahaa hai
Abhipreraṇa (Motivation)
lakṣy nirdhaaraṇa ke pashchaat safalataa kee dishaa men agalaa kadam hotaa hai abhipreraṇa arthaat moṭiveshan. Lakṣy kaa nirdhaaraṇa hone tathaa usakaa spaṣṭ tathaa saarthak chitraa mastiṣk men sthaapit karane ke pashchaat vyakti ko us lakṣy kee praapti kee dishaa men svayn ko moṭiveṭ karate rahanaa chaahiye. Moṭiveshan nimn teen kaarakon se milakar banaa hai
एक ऐसा शख्स जो अपने पैरों से कार चलता है
मनुष्य के पास यदि साहस हो तो वह कुछ भी करके दिखा सकता इसकी जीती जागती मिशाल है विवेक अग्निहोत्री। सात वर्ष की आयु में ही विक्रम के दोनों हाथ करंट लगने से खराब हो गए थे और उन्हें काटना पड़ता था। हाथ मनुष्य का सहारा होते है और वे ही काट दिए जाए तो समझो उसकी दुनिया की उजड़ गई। दोनों हाथ कटने के बाद भी विक्रम ने हार नहीं मानी थी, परंतु आपको सुनकर हैरानी होगी कि वह हाथ से होने वाले काम पैरों के सहारे कर लेते हैं। वह को तैराकी कर लेते हैं और कार भी चला लेते हैं। उन्होंने रेग्युलर स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी की है। उनके पास मास्टर डिग्री है और वह मोटिवेशनल स्पीकर होने के साथ ही गैस एजेंसी भी चलाते हैं।
मुँह से पैंटिंग करने वाला शख्स: हेनरी फ्रिजर
वह रग्बी का प्रसिद्ध खिलाड़ी था। रग्बी उसका जूनन थी लेकिन किस्मत को कुछ ही तेज भागते कदमों को जैसे किसी की नजर लग कोई। एक हादसे उनके सारे अरमानों को मटियामेट कर दिया अब रग्बी उनके लिए एक सपना सी बन गई। हुआ यूं कि वर्ष 2009 में पुर्तगाल में छुट्टी मानने के लिए गए थे दोस्तों के साथ तैरागी के दौरान हेनरी का सिर पत्थर से टकरा गया और उनके सिर और रीढ़ की हड्डी पर गंभीर चोटे लगी। लेकिन हेनरी फ्रिजर ऐसे शख्स कहां हार मानने वाले होते है उन्होंने तो बस अपना सपना ही दिखाई देता है, उन्हें बस कैसे न कैसे अपनी मंजिल पानी होती है। हेनरी फ्रेलर ने हार नहीं मानी उन्हें हाथ-पैरों से लाचार होने के बावजूद मुँह से पैंटिंग करना शुरू कर दिया।
विकलांगता के बावजूद भी अपनी मंजिलों पर पहुँची मुनिबा मजारी
मुनिबा मजारी को पाकिस्तान की आयरन लेडी माना जाता है। वे संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पाकिस्तान की नेशनल एम्बेस्डर हैं। मुनिबा का जन्म एक बलोच पुरिवार में हुआ था। मुनिबा बचपन में पेंटर बनना चाहती थीं लेकिन रूढ़िवादी परिवार से ताल्लुक रखने के कारण वे ऐसा नहीं कर पाई । 18 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के कहने के लिए मजबूर होना पड़ा। शादी के दो-तीन साल बा हुई एक दुर्घटना ने उनके जीवन को बदल कर रखा दिया। एक दिन वह अपने पति के साथ कहीं जा रही रही थी कि उनका पति कार चलाते हुए सो गए और गाड़ी के बेकाबू हो जाने के बाद वो खुद बाहर कूद गए मगर मुनिबा कार के अंदर रह गईं। दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुईं। ढाई महीनों तक अस्पताल में रहने के दौरान जब वो बाहर आईं तो पहले की तरह वो अपने पैरों पर खड़ी होने लायक नहीं थीं। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि वो अब कभी माँ भी नहीं बन सकेंगी। इस बात ने मुनिबा को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया उसकी तो समझो बस जिंदगी ही कहीं थम सी गई। उसके लिए अब जीवन के कोई अर्थहीन हो गई।
बिना हाथ पैर के जीवन में सफलता पाने वाला व्यक्ति- निकोलस वुजिसिक
निकोलस वुजिसिक का जन्म 1982 को मेलबोर्न, ऑस्ट्रेलिया में हुआ, उनका जन्म ही बिना हाथ और पैरो के हुआ था। बावजूद इसके उन्होंने जीवन में कभी हार नहीं मानी। हाथ-पैरो के बिना प्रारंभिक जीवन बिताना उनके लिये काफी मुश्किल था। बचपन से ही उन्हें काफी शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन अपने जीवट और जज्बे के दम पर उन्होंने इस विकार से हार नही मानी, और हमेशा वे औरो की तरह जिन्दगी को जीने की कोशिश करते रहे।
सफलता क्या है? (What is Success)
सफल कैसे बना जाए? यह एक जटिल प्रश्न है। सफलता कोई चिड़िया नहीं जिसे जाल मंे फँसा कर पिंजरे में बंद कर लिया जाए या फिर सफलता पेड़ पर नहीं लगती जिसे तोड़कर खा लिया जाए। सफलता नाम है संघर्ष का, योजनाओं को अमल में लाने का, प्रयासों, आशाओं का, धैर्य का।
कुछ लोगों के लिए सफलता मात्र धन कमाना है, मात्र धन कमाने को भी सफलता नहीं माना जा सकता। धन तो सफलता का पुरस्कार मात्र हैै। समाज में अक्सर ऐसे लोग भी देखे जा सकते हैं, जो धन-धान्य से सपन्न होने के बावजूद मानसिक रूप से संतुष्ट नहीं है। धन-दौलत होने पर भी आत्मिक रूप से संतुिष्ट नहीं तो ऐसी धन-दौलत किस काम की। सफल होने के लिए धन के साथ आत्मिक तृप्ति भी अतिआवश्यक होती है। इसे ही सफलता का नाम दिया जा सकता हैै।
कुछ लोगों के लिए सफलता मात्र धन कमाना है, मात्र धन कमाने को भी सफलता नहीं माना जा सकता। धन तो सफलता का पुरस्कार मात्र हैै। समाज में अक्सर ऐसे लोग भी देखे जा सकते हैं, जो धन-धान्य से सपन्न होने के बावजूद मानसिक रूप से संतुष्ट नहीं है। धन-दौलत होने पर भी आत्मिक रूप से संतुिष्ट नहीं तो ऐसी धन-दौलत किस काम की। सफल होने के लिए धन के साथ आत्मिक तृप्ति भी अतिआवश्यक होती है। इसे ही सफलता का नाम दिया जा सकता हैै।
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