विकलांगता के बावजूद भी अपनी मंजिलों पर पहुँची मुनिबा मजारी

मुनिबा मजारी को पाकिस्तान की आयरन लेडी माना जाता है। वे संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की पाकिस्तान की नेशनल एम्बेस्डर हैं। मुनिबा का जन्म एक बलोच पुरिवार में हुआ था। मुनिबा बचपन में पेंटर बनना चाहती थीं लेकिन रूढ़िवादी परिवार से ताल्लुक रखने के कारण वे ऐसा नहीं कर पाई । 18 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के कहने के लिए मजबूर होना पड़ा। शादी के दो-तीन साल बा हुई एक दुर्घटना ने उनके जीवन को बदल कर रखा दिया। एक दिन वह अपने पति के साथ कहीं जा रही रही थी कि उनका पति कार चलाते हुए सो गए और गाड़ी के बेकाबू हो जाने के बाद वो खुद बाहर कूद गए मगर मुनिबा कार के अंदर रह गईं। दुर्घटना में बुरी तरह घायल हुईं। ढाई महीनों तक अस्पताल में रहने के दौरान जब वो बाहर आईं तो पहले की तरह वो अपने पैरों पर खड़ी होने लायक नहीं थीं। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि वो अब कभी माँ भी नहीं बन सकेंगी। इस बात ने मुनिबा को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया उसकी तो समझो बस जिंदगी ही कहीं थम सी गई। उसके लिए अब जीवन के कोई अर्थहीन हो गई।


विकलांग होने पर उनके पति ने ने उन्हें तलाक दे दिया। जीवन में आई इन बड़ी मुसीबतों से हौसला हारने के बजाय उन्होंने तय किया कि वो पेंटिंग का अपना शौक पूरा करेंगी। उन्होंने रंग और कूची मंगाई और अपनी सारी भावनाओं को रंगों और रेखाओं के माध्यम से व्यक्त करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनकी कला को पहचान मिलने लगी। मुनिबा ने व्हीलचेयर पर होने के बावजूद मॉडलिंग भी की। वो गाना भी गाती हैं। वो महिलाओं से जुड़े मुद्दों को उठाने में भी आगे रहती हैं। आज वो मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर सबसे ज्यादा चर्चा में रहती हैं। अब मुनिबा एक बेटे की माँ भी हैं। उन्होंने एक बच्चे को गोद भी ले लिया है। हताश-निराश दिलों में आशा की नई किरण जगमगाने के लिए काफी है।
ब्रिटेन के बड़े समाचार संस्था बीबीसी ने साल 2015 में उन्हें अपनी 100 वुमन सीरीज में शामिल किया था। फोर्ब्स पत्रिका ने साल 2016 में 30 साल से कम उम्र की दुनिया की 30 शख्सियतों में सम्मिलित किया। तीन मार्च 1987 को जन्मीं मुनिबा की कहानी किसी भी इंसान के लिए प्रेरणादायक है। आपको हैरत होगी कि आज दुनिया जिस मुनिबा को जानती है उसके पीछे एक दर्दनाक कहानी है। मुनिबा अपाहिज हैं और व्हीलचेयर के सहारे चलती हैं। महज 20 की उम्र में एक कार हादसे में उनके कमर के नीचे का हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त के बावजूद भी मुनिबा ने जीवन का जज्बा नहीं छोड़ा।

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