मनुष्य के पास यदि साहस हो तो वह कुछ भी करके दिखा सकता इसकी जीती जागती मिशाल है विवेक अग्निहोत्री। सात वर्ष की आयु में ही विक्रम के दोनों हाथ करंट लगने से खराब हो गए थे और उन्हें काटना पड़ता था। हाथ मनुष्य का सहारा होते है और वे ही काट दिए जाए तो समझो उसकी दुनिया की उजड़ गई। दोनों हाथ कटने के बाद भी विक्रम ने हार नहीं मानी थी, परंतु आपको सुनकर हैरानी होगी कि वह हाथ से होने वाले काम पैरों के सहारे कर लेते हैं। वह को तैराकी कर लेते हैं और कार भी चला लेते हैं। उन्होंने रेग्युलर स्कूल में अपनी पढ़ाई पूरी की है। उनके पास मास्टर डिग्री है और वह मोटिवेशनल स्पीकर होने के साथ ही गैस एजेंसी भी चलाते हैं।
विक्रम अपने अधिकतर कार्य स्वयं ही कर लेते है। फिर उन्होंने अहसास हुआ कि वह अपनी मौलिक आवश्यकताओं के लिए दूसरे पर निर्भर क्यों रहे इसके चलते उन्होंने आॅटोमेटिक गियर शिफ्ट वाली कार ली। अब समस्य यह आयी कि कोई उन्हें कार चलाना सीखने के लिए राजी ही नहीं हुआ। आखिर कर उन्होंने स्वयं ही कार चलाने की ठानी इसके लिए उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया। यू-ट्यूब देखकर उन्होंने कार ड्राइविंग की बारीकियां सीखी।
अब समस्या से थी लाइसेंस दिया बनाने की वह इसके लिए सरकारी विभागों में चक्कर काटते की उन्हें ड्राइविंग का लाइसेंस दिया जाए पर किसी ने उनकी एक न मानी। अंत में उन्होंने ने उप परिवहन आयुक्त को अपनी ड्राइविंग देखने के लिए राजी किया। वह ड्राइविंग देखने आए और उन्होंने उन्हें लाइसेंस प्रदान किया। आखिकर विक्रम अपने मकसद में कायमयाब हुआ।
उनके पास आॅटोमेटिक गियर शिफ्ट वाली कार है। वह स्टीयरिंग अपने दाएं पैर से पड़कते है और अपने बाएं पैर को एक्सेलरेटर पर रखते है। अपनी कार के दाहिने ओर ही उन्होंने ब्रेक और एक्सेलरेटर लगवाए है। वो कहते हैं कि इराते नेक हो तो आपको कोई नहीं झुकता सकता आपको हार हाल में जीत मिलकर ही रहेगी।
विक्रम अपने अधिकतर कार्य स्वयं ही कर लेते है। फिर उन्होंने अहसास हुआ कि वह अपनी मौलिक आवश्यकताओं के लिए दूसरे पर निर्भर क्यों रहे इसके चलते उन्होंने आॅटोमेटिक गियर शिफ्ट वाली कार ली। अब समस्य यह आयी कि कोई उन्हें कार चलाना सीखने के लिए राजी ही नहीं हुआ। आखिर कर उन्होंने स्वयं ही कार चलाने की ठानी इसके लिए उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया। यू-ट्यूब देखकर उन्होंने कार ड्राइविंग की बारीकियां सीखी।
अब समस्या से थी लाइसेंस दिया बनाने की वह इसके लिए सरकारी विभागों में चक्कर काटते की उन्हें ड्राइविंग का लाइसेंस दिया जाए पर किसी ने उनकी एक न मानी। अंत में उन्होंने ने उप परिवहन आयुक्त को अपनी ड्राइविंग देखने के लिए राजी किया। वह ड्राइविंग देखने आए और उन्होंने उन्हें लाइसेंस प्रदान किया। आखिकर विक्रम अपने मकसद में कायमयाब हुआ।
उनके पास आॅटोमेटिक गियर शिफ्ट वाली कार है। वह स्टीयरिंग अपने दाएं पैर से पड़कते है और अपने बाएं पैर को एक्सेलरेटर पर रखते है। अपनी कार के दाहिने ओर ही उन्होंने ब्रेक और एक्सेलरेटर लगवाए है। वो कहते हैं कि इराते नेक हो तो आपको कोई नहीं झुकता सकता आपको हार हाल में जीत मिलकर ही रहेगी।
No comments:
Post a Comment