अभिभावक मूक-बधिर, पुत्र फ्रांस में बनेगा रिसर्चर

मैंने पहले भी इस ब्लाॅक में कई बार लिखा है कि यदि व्यक्ति में कुछ करने का जज्बा हो तो परिस्थितियां उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती है। यदि कोई ठान ले कि मुझे कुछ करना है, तो फिर दुनिया की कोई भी ताकत उसे रोक नहीं सकती।


अग्निद्वीप दास का जीवन इसकी मिसाल है। वह पश्चिम बंगाल के गांव से निकल कर फ्रांस में रिसर्च करने करने के लिए जाएंगे। उनकी कहानी में सबसे मोटिवेशनल बात तो यह है कि उसके अभिभावक मूक-बधिर है और पश्चिम बंगाल के सूरी इलाके के पुरंदरपुर मार्किट में टेलर की दुकान चलाते हैं। उनकी दुकान का नाम ही ‘डेफ एंड डंब टेलर’ अर्थात मूक-बधिर टेलर।
अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान ही वह दुकान के कार्य में उनकी मदद किया करते थे। अग्निद्वीप विश्वभारती से रसायन शास्त्र में स्नातक के बाद आॅल इंडिया आईआईटी ऐंट्रस में सफलता प्राप्त करके इंदौर आईआईटी में प्रवेश लिया।
आईआईटी में उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन में 84.9 प्रतिशत अंक प्राप्त करके शीर्ष 10 में स्थान बनाया जिसके कारण उन्हे फ्रांस में स्थित स्टार्टबर्ग यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए बुलाया है। उनकी यात्रा का पूरा खर्चा भी यूनिवर्सिटी के द्वारा ही उठाया गया।
उनके माता-पिता के पास इतने संसाधन नहीं थे कि वे उसे विदेश में पढ़ने के लिए भेजे। माध्यमिक तक वह दूसरों से पुस्तके उधार लेकर पढ़ा करते थे। लेकिन अग्निद्वीप ने तो एक सपना देखा कुछ कर दिखाने का। उसके लिए निरंतर प्रयास किया और अंत में साधन-विहीन होने के बावजूद भी वह फ्रांस मे ंजा रहे है रिसर्च करने के लिए। इसलिए तो मैं कहता हूँ ‘सफलता’ कुछ नहीं बस आप की सोच है, यदि अपने सोच लिया कि मुझे सफल होना है तो फिर दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।

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