सफलता के मार्ग का साथी ‘धैर्य’

कविवर गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम चरित मानस में लिखा है –
धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी। आपत काल परख यहि चारी 
अर्थात हमें विपत्ति के समय धीरज धर्म, मित्र और पत्नी–इन चारां को परखना चाहिए। यहाँ तुलसीदास ने धीरज अर्थात धैर्य को प्राथमिकता दी है। अर्थात विपत्ति के समय कभी भी धैर्य को नहीं खोना चाहिए। सफलता के लिए धैर्य की सर्वाधिक निर्णायक भूमिका होती है। कई कार्य दीर्धकाल में परिणाम देने वाले होते हैं। इसी बीच कार्य का आशानुरूप परिणाम न मिलने पर व्यक्ति विशेष का धैर्य जवाब दे चुका होता है। इससे वह व्यक्ति कार्य को बीच में ही छोड़ देता है, जिससे उसे असफलता का समाना करना पड़ता है।


किसी भी कार्य के ऐच्छिक परिणाम लेने के लिए धैर्य की अत्यधिक आवश्यकता होती है। कार्य करना हमारे हाथ होता है, परिणाम प्राप्त करना हमारे हाथ में नहीं होता। प्रत्येक कार्य का परिणाम कार्य की प्रक्रिया पूर्ण होने पर ही प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए यदि हम पेड़ लगाएं तो हमें एक निर्धारित समयावधि में ही उसका फल मिलेगा। यह नहीं कि आज पेड़ लगाया और कल पेड़ बड़ा हो गया और परसों उस पर फल भी लग जाएं। परिणाम में समय की आवश्यकता होती है। धैर्य के साथ कार्य करने पर परिणाम आवश्य ही हमारे अनुकूल होंगे। धैर्य खोने पर आपको असफलता का मुँह ही देखना पड़ेगा।
धैर्य का अर्थ यह भी नहीं की सीमित अवधि में परिणाम देने वाले कार्य के लिए भी लंबा इंतजार किया जाए कि शायद कभी न कभी तो ऐच्छिक परिणाम प्राप्त होंगे। धैर्य का अर्थ है प्रतिकूल परिणाम आने पर भी अपना आत्मविश्वास एवं संयम न खोते हुए दृढ़निश्चय के साथ प्रयास करते रहना चाहिए।
इस युग में सुविधाओं और साधनों की कमी नहीं, अर्थात आज सब कुछ है, पर नहीं है तो बस ‘धैर्य’। धैर्य से कोई काम नहीं लेना चाहता है। किसी भी प्रकार जल्द से जल्द अपने कार्य का परिणाम देखना चाहता है। कोई भी कार्य एक प्रक्रिया से गुजर कर ही परिणाम देता है। इस पर सोचने का समय किसी के पास नहीं। लोगों की एक मानसिकता बन गई है, आज व्यापार प्रारंभ किया, कल तेजी से पैसा आना प्रारंभ हो जाए। व्यापार से परिणाम प्राप्त होने में समय लगता है, इसे सोचने का समय किसी के पास नहीं। अगर यहाँ पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का उदाहरण लिया जाए तो, वह सत्तर वर्ष की आयु में देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने चालीस वर्षों तक विपक्ष में बैठने का धैर्य रखा। इसी धैर्य के परिणामस्वरूप वह देश के प्रधानमंत्री बने। 
‘लक्ष्य’ को पाने के लिए थोड़ा ‘धैर्य’ तो रखना ही होगा। धैर्य जीवन की एक परीक्षा होती है। जिसने इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया वह सफल हो गया। जिसने धैर्य खो दिया वह असफल हो गया। परिणाम कब मिलेगा इसका किसी को पता नहीं है। इतना आवश्यक है, इच्छित परिणाम प्राप्त करने के लिए धैर्य के साथ प्रयास करना पड़ता है। धैर्य सफलता के मार्ग में आपका मित्र है। सफलता के मार्ग में विजय पाने के लिए भय से लड़ते हुए धैर्य को अपना मित्रता बनाओ।
वर्तमान समय में तत्परता की मानसिकता हम पर हावी हो चुकी है। प्रत्येक व्यक्ति रातों-रात करोड़पति बनना चाहता है। उसे यह नहीं पता की पैसा कमाना एक प्रक्रिया का परिणाम है। ‘आप मेहनत के साथ’ अपने कार्य में लगे तो अवश्य ही पैसा कमा सकते हैं। तत्परता की मानसिकता के कारण कुछ व्यक्ति जीवन में सफलता के लिए शार्ट-कर्ट अपनाने से भी नहीं चूकते। कभी उन्होंने नहीं सोचा की शार्ट कट कभी भी ईमानदारी की मजबूत बुनियाद का मुकाबला नहीं कर सकते। यह सोचने का समय भी शायद उनके पास नहीं।
लोग अपने नहीं, दूसरों को दिखाने के लिए जी रहे है। लोगों का दिखावटी और बनावटी जीवन ही उन्हें शार्ट-कट के लिए प्रेरित करता है। उन्हें यह नहीं पता कि यह शार्ट कट उन्हें कहाँ ले जाएगा। शार्ट-कट सफलता का मापदंड नहीं। सफलता के लिए लोगों की झूठी वाहवाहीं के स्थान पर धैर्य के साथ मेहनत तथा लगन की आवश्यकता होती है। आपका भविष्य आपकी मुट्ठी में है। कमी तो बस प्रयास की है। लोग कहते हैं आपकी भाग्य रेखा आपके हाथ में है। क्या कभी आपने इसका अर्थ जानने की चेष्टा की। आप हस्तरेखा विशेषज्ञ के पास जाने के लिए तो तैयार हैं, पर आपका भविष्य आपके हाथ में है, इस तथ्य को जानने का प्रयास कदापि नहीं करते। इसका स्पष्ट अर्थ है हाथो से मेहनत करो और अपना भाग्य तय करो। ये छोटी सी बात ही समझ में आ जाए तो आप अपने भाग्य को न कोसें।
कुछ लोगों का मानना होता है कि वह मेहनत करते हैं, पर आशातीत सफलता नहीं मिलती। क्या उन्होंने जानने का प्रयास किया, ऐसा क्यों? आप में कमी क्या है? आपने फुर्सत में सोचने का प्रयास किया। यह जानने का प्रयास किया कि आपने कहां-कहां अवसरों का गंवाया। कब-कब आप कार्य करने में समर्थ न हो सके। कब-कब सफलता से कुछ कदमों की दूरी पर ही आपने कार्य को छोड़ दिया। इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर ही जीवन में आपकी सफलता एवं असफलता का आंकलन करने में सहायक बनेंगे। इन प्रश्नों के उत्तरों के पश्चात आप पाओगे की गलती आप की ही है। ईमानदारी के साथ स्वयं आंकलन करने का प्रयास करो।
धैर्य एक मानसिक स्थिति है जो हमें निर्धारित परिस्थितियों से लड़ने की हिम्मत प्रदान करती है। जैसा कि पूर्व अध्याय में भी बताया गया है, सफलता और असफलता जीवन के दो पहलू हैं। किसी कार्य मे सफलता और असफलता में से कुछ भी प्राप्त हो सकता है। सफलता उत्सावर्द्धक होती है, वहीं असफलता में निराशा एवं अवसाद छिपा होता है। निराशा और अवसाद मानसिक शक्ति ओर मनोबल का नाश कर देता है। इस स्थिति में धैर्य आपका सबसे बड़ा हथियार बन सकता है। धैर्य मस्तिष्क को मनोबल प्रदान करता है। समय के साथ अच्छा और बुरा ये दो शब्द जुड़े हैं। आज समय बुरा तो कल अच्छा भी होगा। मानसिकता हमें परिस्थितियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। धैर्य के साथ परिस्थितियों का सामना करने पर अंतोगत्वा सफलता मिलकर ही रहेगी। इसी मानसिकता के साथ धैर्य रखते हुए अपने कार्य में जुट जाना ही उपयुक्त होता है।
‘सफलता के लिए उतावलेपन को अपेक्षा धैर्य को अंगीकृत करना सीखो। उतावलापन सफलता की सटीक परिभाषा नहीं, जबकि धैर्य सफलता का मूल होता है। उतावलेपन से परिणाम के प्रतिकूल आने से अधीरता हमारे ऊपर हावी होने लगती है। अधीरता में एक प्रकार की बेचैनी होती है जो हमें लक्ष्य से भटका सकती है। लक्ष्य से भटकने पर आप एैच्छिक परिणाम नहीं प्राप्त कर सकते। अरस्तु ने कहा हैµष्च्ंजपमदबम पे इपजजमतए इनज पजे तिनपजे पे ेममजष् अर्थात धैर्य तीखा अवश्य होता है पर इसका फल सदैव मीठा होता है। यहाँ गोस्वामी तुलसीदास जी की निम्न पंक्तियों के माध्यम से भी धैर्य के महत्व को समझा जा सकता हैदृ
‘धीरज धरे सो उतरे पारा’ 
अर्थात यदि आप धैर्य से कार्य करने पर सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।

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