डेयरी तकनीक क्षेत्र में कैसे बनाए कैरियर

दुग्ध उत्पादन में भारत का पहला स्थान है, बावजूद इसके भारत में अब भी दूध की काफी कमी बनी हुई है। देश में इसके विकास के लिए सरकार और नीजि स्तर पर भरसक प्रयास किए जा रहे है। इस क्षेत्र का विकास इससे जुड़े पेशेवरों की उपलब्धता से भी जुड़ा हुआ है। इस क्षेत्र में पेशेवरों की मांग अत्यधिक और उसके तुलना में उपलब्धता कम है। जिस कारण इस क्षेत्र में कैरियर की बनाने की चाह रखने वाले के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। इस पोस्ट में हम आपको डेयरी तकनीक के क्षेत्र में कैरियर के विषय में जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

कौन से कोर्स करें
पहले डेयरी तकनकी को वेटरेनरी एवं एनिमल हस्वेंड्री से संबंधित पाठ्यक्रम का हिस्सा माना जाता था। परंतु अब इसे अलग विषय बना दिया गया है। विभिन्न शैक्षिक संस्थानों पर द्वारा इससे संबंधित कोर्स चलाए जाते है। डेयरी तकनीक में डिप्लोमा, स्नातम, स्नातकोत्तर तथा डाॅयरेक्ट स्तर के कोर्स सम्मिलित होते हैं। इससे संबंधित बैचलर डिग्री कोर्स की अवधि चार वर्ष है।
पहले डेयरी टेक्नोलॉजी वेटरेनरी व एनिमल हस्बेंड्री कोर्स का हिस्सा था। अब यह एक अलग विषय है। इससे संबंधित कई तरह के कोर्स विभिन्न संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसमें डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर व डॉक्टरेट लेबल के भी कोर्स शामिल हैं। अधिकतर संस्थानों में स्नातक लेबल के कोर्स के लिए अखिल भारतीय स्तर पर लिखित परीक्षा का आयोजन कराया जाता है। डेयरी टेक्नोलॉजी से संबंधित बैचलर डिग्री कोर्स की अवधि चार वर्ष की है। पीजी डिप्लोमा कोर्स की अवधि दो वर्ष है। इस से संबंधित डिप्लोमा कोर्स एक और दो वर्षीय है। बैचलर्स की डिग्री के बाद मास्टर्ड डिग्री हासिल की जा सकती है। डेयरी तकनीकी के क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक व्यक्ति के लिए बारहवीं कक्षा भौतिक, रसायन और गणित सहित अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होनी चाहिए। 

रोजगार की संभावनाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में डेयरी तकनीकी में प्रशिक्षित व्यक्तियों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं है। वर्तमान में देश में लगभग 400 डेयरी संयंत्र है, जिनमें बड़े पैमाने पर दूध एवं दुग्ध उत्पादों का उत्पादन कर रहे है। आने वाले समय में इनकी संख्या बढ़ने की अत्यंत संभावनाएं हैं। इस क्षेत्र में प्रशिक्षित लोग काॅपरेटिव सोसायटि, डेयरी फार्म, मिल्क उत्पाद प्रसंस्करण व निर्माण यूनिक में रोजगार तलाश सकते हैं।
इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मिल्क प्लांट, आइसक्रीम यूनिट आदि लगाकर अपना व्यवसाय भी शुरू किया जा सकता है। यदि निवेश क्षमता हो तो इस क्षेत्र में स्वरोजगार के विकल्प को अपनाया जा सकता है। इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति लघु डेयरी फार्मों एवं दुग्ध संयंत्रों के लिए परामर्शदाता के रूप में कार्य कर सकता है, लेकिन ऐसा केवल वहीं व्यक्ति कर सकता है, जो इस क्षेत्र से काफी लंबे समय से जुड़े हुए हैं।

डेयरी तकनीकी से संबंधित कोर्स कहां से करें
डेयरी तकनीक से संबंधित कोर्स डेयरी साइंस इंस्टीट्यूट, मुंबई, नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु, संजय गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजी, पटना, इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट, इलाहाबाद, कॉलेज ऑफ डेयरी टेक्नोलॉजी, रायपुर, सेठ एम.सी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस, आणंद, उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयाग राज, नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल इत्यादि संस्थानों से किए जा सकते हैं।

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