लक्ष्य के प्रति समर्पित बनें

सफल बनने या सफल होने या सफलता प्राप्त करने के लिए लक्ष्य के प्रति समर्पित होना पड़ता है। मात्र सफल बनने के विषय में सोच लेने से ही सफलता नहीं मिल जाती उसे पाने के लिए समर्पण भाव होना अतिआवश्यक है। समर्पण भाव से आप पूरे विश्वास और तन्मयता के साथ अपने कार्य को कर सकते है। समर्पण के लिए विश्वास की आवश्यकता होती है। सफलता के प्रति विश्वास होने पर ही समर्पण की भावना जागृत होती है। सफलता के प्रति आशान्वित होने पर ही आपमें उसके प्रति समपर्ण जागेगा। लक्ष्य का निर्धारण करने के पश्चात स्वयं में विश्वास जागाओ कि आप अवश्य सफल होंगे। विश्वास के जागृत होने पर समपर्ण भाव ही उत्पन्न हो जाएगा। जीवन में प्रत्येक स्तर पर सफलता प्राप्त करने के लिए समर्पण एवं विश्वास की आवश्यकता होती है।


आप किसी कार्य का प्रारंभ करते है और उसकी सफलता के प्रति पूर्ण आशान्वित नहीं होते उस कार्य में आप किंतु, परंतु, अन्यथा जैसे शब्द लगाते हैं तो इस स्थिति में कार्य का सफल होना संदिग्ध है। जब आपको ही विश्वास नहीं की कार्य सफल होगा या नहीं तो वह कार्य क्या सफल होगा। अपने आप को सफल बनाने या लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम स्वयं को विश्वास दिलाना होगा कि आप लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य ही करेंगे। स्वयं में विश्वास जागृत होने पर आप पूर्णतः समर्पित होकर कार्य करेंगे यहाँ कार्य की सफलता की संभावना अधिक होगी। इसके विपरीत सफलता के पहले विश्वास न होने पर आपके मस्तिष्क में संदेह उत्पन्न होगा। संदेह से, भ्रम से आपकी एकाग्रता भंग होगी। एकाग्रता के भंग होने पर आपकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी। भ्रम की स्थिति में आपकी सफलता की संभावना संदिग्ध हो जाती है। अपने भीतर विश्वास को जगाएं, आशावादी बनें। निराशा का दामन छोड़ो। आशावादी बनने से ही विश्वास जागता है। जो मस्तिष्क को ऊर्जावान बनाता है; उत्साहित करता है। निराशा से कुंठा तथा हीनता जन्म लेती है। हीनता से हतोत्साह, हतोत्साह हमारी ‘सफलता’ के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बनता है। अगर आप निराशावादी हैं और प्रत्येक वस्तु में नकारात्मक पहलू को ही देखते हैं हो तो इस आदत को अभी बदलो। निराशावाद को त्यागों आशावाद को जीवन में उतारो फिर देखों आपका जीवन बदलता है या नहीं। निराशावाद एक स्थिर जल है जिसमें सड़ांध ओर कीड़े पड़ते है। आशावाद झरने का बहता स्वच्छ जल है। जिसकी निर्मलता मस्तिष्क के सारे मैल को धोकर आपमें विश्वास का संचार करेगी।
यदि कोई अपना व्यवसाय चलाता है, उसमें सफलता के लिए आवश्यक है कि वह अपने माल की गुणवत्ता तथा ग्राहकों के विश्वास के प्रति समर्पित रहे। ऐसा करने में उसे उसके व्यापार में अवश्य ही सफलता मिलेगी। व्यापार में माल की गुणवता एवं ग्राहकों के विश्वास के प्रति सर्मिर्पत होना अत्यंत आवश्यक है।


आप सदैव कथन के प्रति समर्पण समर्पित रहें। अपने कथन के प्रति समर्पित रहने वाले व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है। जबकि अपने कथन के प्रति समर्पित न रहने वालों के सम्मान में कमी आती है। आप जो कुछ भी कहते हैं, उस पर अमल करने का प्रयास करें, उससे फिरें नहीं। कई बार ऐसी परिस्थिति हो सकती है कि आप उस कार्य को करने की स्थिति में नहीं होते। इसलिए बात को कहने से पहले सौ बार सोच लेना चाहिए की आप अपने कथन में सफल हो सकते है या नहीं।
मान लें आप कोई नौकरी करते हैं जिसमें आपको अच्छा खासा वेतन मिलता है। आप एक साइड बिजनिस भी करना चाहते है। आपने कर भी लिया। प्रारंभिक दौर में व्यापार में नौकरी की अपेक्षा कम आमदनी होती है। नौकरी में अधिक आय होने के कारण आप नौकरी पर अधिक तथा बिजनिस पर कम ध्यान देते हैं। आपका समपर्ण नौकरी के प्रति अधिक है तो इस स्थिति में आपका व्यापार में सफल होना संदिग्ध है, क्योंकि आपका समर्पण नौकरी की तरफ अधिक है। जहाँ आप अधिक समर्पित हो वहीं ही आपको सफलता अधिक मिलेगी। इस दृष्टि से सफलता के लिए अपने मन में विश्वास एवं समर्पण का विकास करो। आप आवश्यक ही सफल बनोगे।

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