बल्ब की रोशनी से दुनिया को रोशन करने वाला नायक: थामस एडीसन

दुनिया को ‘बल्ब’ के प्रकाश से प्रकाशित करने का श्रेय जाता है, थामस एडिसन को। आज बे-शक बल्ब निर्माण में कितनी ही नई तकनीक प्रयोग की जाने लगा। मगर बल्ब के क्षेत्र में क्रांति का सूत्रपात्र करने वाला महानायक ‘थामस’ एडीसन ही था। अपने दृढ़निश्चय और कभी भी हार न मानने की आदत ने ही ‘थामस’ एडिसन को महान बना दिया। एडीसन हार बनाने वालों के लिए सबक, तथा विजेताओं के लिए प्रेरणा की जीती जागती मिसाल है।


 थाॅमस ऐडीसन का जन्म मिलान (Melan) बंदरगाह के ओह्यिओ (ohio) नामक स्थान पर 11 फरवरी, 1847 को एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। वे अपने माता-पिता की सात-संतानों में से अंतिम संतान थे। बचपन में उन्हें विलक्षण प्रतिभा का धनी नहीं माना गया। इनके शिक्षक इनसे बहुत परेशान रहते थे। अंत में इन्हें स्कूल से ही निकाल दिया गया। इस कारण इनकी शिक्षा केवल प्राथमिक स्तर तक ही हो पाई। आप स्वयं ही उस व्यक्ति के दृढ़निश्चय का अनुमान लगा सकते है कि मात्र प्राथमिक स्तर तक शिक्षा ग्रहण करने के बावजूद यह विश्व का महान आविष्कारक बन गया। इसके पीछे क्या कारण था, थामस एडीसन का भाग्य या उसकी कर्मों के प्रति निष्ठा, इसका निर्धारण तो आप को ही करना है।
विद्यालय से निष्कासित होने के पश्चात थामस की माता नेनसी (Nancy) तथा पिता सैमुअल (Samuel) ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने स्वयं ही घर पर पढ़ाने प्रारंभ किया। विशेषकर उनकी माँ नेनसी ;छंदबलद्ध ने इनकी पढ़ाई मे विशेष रुचि दिखाई। उन्हें ‘विश्वास’ था, उनका पुत्र अवश्य ही सफल होगा। इस दुनिया में ‘विश्वास’ से बढ़कर कोई शक्ति नहीं विश्वास पर ही दुनिया टिकी हुई है। इसी विश्वास के सहारे थामस की माता ने अपने पुत्र को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। घर में थामस एडिसन ने शब्द ज्ञान सीखा। इन्होंने साहित्य का अध्ययन किया। थामस की साहित्य, विशेषकर काव्य में गहन रुचि थी।
प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी संघर्ष से दो चार होना पड़ता है। कुछ ऐसा ही थामस के साथ भी हुआ। इन परेशानियों से घबराने की अपेक्षा थामस ने इनका सामना करना ही उपयुक्त समझा। इन्होंने रेल रोड पर अखबार के अतिरिक्त स्नैक तथा टाॅफी तक बेची। इसके पीछे एक कारण यह भी था कि थामस अपने दम पर कुछ करना चाहते थे। इसके पीछे दूसरी सबसे बड़ी बड़ी वजह थामस व्यापार का क ख ग निचलेस्तर पर ही सीखना चाहते थे। किसी व्यापारी के लिए सबसे बड़ी सीख यही है, वह निचले स्तर से सीखना प्रारंभ करें।
सन् 1860 में थामस ने टेलिग्राफ आॅपरेटर की नौकरी कर ली। इन्होंने यहीं सर्वप्रथम ‘इलेक्ट्रानिक टेलिग्राफ’ का आविष्कार किया। सन् 1862 के लगभग थामस एडीसन ने ‘वीकली हेराल्र्ड  का प्रकाशन प्रारंभ किया। यह विश्व का प्रथम ऐसा सामचार पत्र था जिसकी टाइपसेट तथा प्रकाशन यहाँ तक कि बिक्री भी चलती टेªन में की गई। थामस के इस कृत्य ने इन्हें रातों-रात प्रसिद्ध बना दिया। ‘थामस’ के लिए सफलता का अर्थ बस इतना भर ही नहीं था। इनकी मंजिल तो अभी बहुत दूर थी। इस तरह के आविष्कार तो मात्र छोटे-छोटे पड़ाव थे। अभी तो थामस को लंबा सफर तय करना था। इस समाचार पत्र से थामस को दस डाॅलर प्रतिदिन की आय प्राप्त होने लगी। जो उनको जीविका प्रदान करने के साथ उनके सपनों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एक आविष्कारक के रूप में थामस ने कैरियर का प्रारंभ न्यूयार्क ;छमूंताद्ध जोकि न्यू जर्सी में स्थित था, में टेलिग्राफ डिवाइस  बनाकर किया था। पर सर्वप्रथम इनके हुनर को पहचान फोनोग्राफ  जिसका आविष्कार इन्होंने 1877 में किया, से मिली। थामस एडिसन ही ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिसने ध्वनि को रिकार्ड करके उसे पुनः उत्पादित करने के उपकरण का आविष्कार किया, जो एक करिश्मा था।
न्यूजर्सी मेलनोपार्क वैज्ञानिक एवं अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना भी थामस एडीसन ने ही थी। ये प्रयोगशाला वैज्ञानिक अनुसंधान एवं तकनीकी विकास की सर्वप्रथम प्रयोगशाला थी। यह उपलब्धि भी उस समय किसी अमेरिकी की लिए एक सपने के सच होने जैसी थी, जिसे थामस एडिसन के ‘अथक प्रयास’ एवं कभी भी हार न मानने के जज्बे ने कर दिखलाया था।
थामस एडीसन के जीवन में सफलता की सबसे अनूठी मिसाल थी। ‘विद्युत बल्ब’ का अविष्कार उस समय शायद ही किसी ने कल्पना की होगी, फिल्मामेंट के तारों के बीच विद्युत आवेग को प्रवाहित कर समूची दुनिया को जगमगया जा सकता है। थामस को ‘विश्वास’ था कि ऐसा कर पाना संभव है। हो सकता है, बहुतों ने इसे कोरी कल्पना समझ कर थामस का उपहास भी उड़ाया होगा। कहते हैं न मंजिल वे ही पाते हैं जो सपने को सच करने का हुनर रखते हंै। कुछ ऐसा ही थामस एडीसन में भी था। एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, चार नहीं...पूरे दस हजार बार प्रयोग किए 
थामस ने विद्युत बल्ब को मूर्त रूप देने मे। अपनी प्रत्येक असफलता से वे हताश व निराश नहीं हुए उन्होंने प्रत्येक बार कोई न कोई सबक सीखा। उसने सीखा कभी ‘हार से हार मत मानो, देखना हार को आपसे हार मनानी ही पड़ेगी।’ कुछ ऐसा ही थामस एडीसन ने भी सोचा होगा। इसी के परिणामस्वरूप आखिर दस हजार असफल प्रयोग करने के पश्चात् अंततोगत्वा थामस को विद्युत बल्ब बनाने में सफलता मिल ही गई। थामस का विद्युत बल्ब के लिए दस हजार बार प्रयोग करना उनकी दृढ़इच्छाशक्ति की ही दर्शाता है। थामस का धैर्य तो देखो जो दस हजार असफल प्रयोग करने के बाद ही डिगा नहीं। वह अपनी सफलता के प्रति आश्वस्त रहा। ऐसे चारित्रिक गुण जो भी अपने अंदर विकसित करेगा एक न एक दिन उसे अवश्य ही सफलता मिलेगी। थामस का विद्युत बल्ब का आविष्कार सौ-दो सौ वर्षों तक नहीं बल्कि हजारों वर्षों तक लोगों के लिए प्रेरणाòोत बने रहेगा। थामस के विद्युत बल्ब के आविष्कार ने लोगों को हर हाल में सफलता प्राप्त करने का प्रकाश दिया।
सन् 1878 में न्यूयार्क शहर में थामस एडीसन ने एडिसन इलेक्ट्रानिक लाइट कंपनी  की स्थापना की जिसे जे.पी. मोर्गन तथा पेंडर-विल्ट ने वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई। 25 जनवरी 1881 में थामस एडिसन ने एलेक्जेंडर ग्राम बेल  के साथ मिलकर ओरियंटल टेलिफोन कंपनी की स्थापना की। 4 सितंबर, 1882 को थामस एडिसन ने विश्व का प्रथम विद्युत वितरण (Power Distribution System) की स्थापना की जिसके अंतगर्त उन्होंने 59 ग्राहकों के घरों में 110 वोल्ट का करंट उपलब्ध करवाया।
अपने इन्हीं आविष्कारों के कारण आज भी एडीसन समूची दुनिया में जाने जाते हैं। विश्व में लगभग 1,093 पेटेंट्स उनके नाम दर्ज हैं। जो उस व्यक्ति के लिए किसी करिश्में से कम नहीं जिसकी स्कूली शिक्षा मात्र प्राथमिक स्तर तक ही हुई हो। अमेरिका से प्रकाशित लाइफ मैगजिन ने विश्व के 100 करिश्माई व्यक्तियों में थामस को 100 स्थान पर रखा है। थामस एडिसन नाम का साधारण सा बालक आज न केवल अमेरिका अपितु समूची दुनिया के लिए एक जादुई व्यक्तित्व है। थामस इतना करिश्माई कैसे बन गया, इस तथ्य को जानने की कोशिश दुनिया में बहुत की कम लोगों ने की होगी। जिसने भी उसके व्यक्तित्व तथा उसकी उपलब्धियों को जानने का प्रयास किया होगा, वह अवश्य ही ‘असफलता’ से कभी भी हार न मानने वाला व्यक्तित्व ही बना होगा, जोकि ‘थामस एडिसन’ की सफलता का राज था।

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