दुनिया में शीतल पेय का जनक (Founder of Cocacola): आसा केंडलर

आज भारत में बहस छिड़ी हुई है कि क्या कोकाकोला का संस्थापक शिंकजी बेचा करता था। तो आज हम आपको बताते है कि कोका कोला का संस्थापक शिकंजी नहीं बेचा करता था, वह एक दवाई विक्रेता है और उसने किस प्रकार से कोकाकोला का सम्राज्य खड़ा किया।
दुनिया उन्हीं को सलाम करती है जो अपना रास्ता स्वयं बनाना जानते हैं। आसा केंडलर भी एक ऐसा ही नायक है जिसने अपना ‘रास्ता’ स्वयं खोजा और दुनिया के समक्ष सफलता की नवीन मिसाल रखी। आज न केवल अमेरिका बल्कि समूची दुनिया में केंडलर द्वारा स्थापित कोका-कोला, अपनी अलग पहचान बना चुकी है। असा केंडलर ने ही दुनिया को सर्वप्रथम ‘साफ्ट डिंªक्स’ के स्वाद से अवगत कराया।


असा केंडलर का जन्म 1851 में केरोल कंटरी ;ब्ंततवस ब्वनदजतलद्ध में हुआ। इनके पिता का नाम सैमुअल तथा माता का नाम मार्था ;डंतजीद्ध था। इनका लालन पालन धार्मिक विचारों एवं नैतिक आदर्श वाले परिवार में हुआ। जो उनके जीवन पर सदैव हावी रहे। शायद इन वचारों ने केंडलर को जीवन में सदैव ऊँचे पर पहुँचने के लिए प्रेरित किया।
एक व्यापारिक परिवार में जन्म लेने के कारण ही असा केंटलर ने व्यापार करने का निर्णय किया। इन्होंने अटलांटा मे औषधि-व्यापारी के रूप में अपने कैरियर का प्रारंभ किया। व्यापार के प्रति सच्ची निष्ठा के कारण ही वह व्यापार में उन्नति करते चले गए। शीघ्र ही वह सफल दवाई निर्माता के रूप में विख्यात हो गए। इस पुस्तक मे पूर्ववर्ती अध्यायों मंे भी बताया गया है, सफलता के लिए सर्वाधिक आवश्यक होता है ‘आपका निर्णय’। आपका एक निर्णय ही जीवन में सफलता एवं असफलता के बीच के आपके फासले को मिटा देता है।  ‘निर्णय’ ही आपकी जीवन की दिशा को बदल सकता है। कुछ ऐसा ही केंडलर महोदय के साथ हुआ। 
हुआ यूं कि अमेरिका के एक स्थानीय फारमिस्ट डाॅ. जाॅन स्टिथ पेम्परटन ;श्रवीद ैजपजी च्ंउचमतजवदद्ध ने ऐसे पेय का फार्मूला खोजा जिसे पी कर व्यक्ति को तुरंत ही थकाटव एवं प्यास से मुक्ति मिलती थी। अपने मित्रों की सलाह पर इन्होंने इसका नाम कोका-कोला रखा। अपने अथक प्रयायों के बावजूद डाॅ. पेम्बरटन इस ड्रिंग को प्रसिद्धि नहीं दिया पाए।
 इन्हीं सब कारणों से डाॅ. पेम्परटन ने इस व्यापार को बेचने का मन बनाया। केंडलरने इस व्यापार को खरीदने की इच्छा जताई। हालांकि कोका-कोला के आइडिया में दम था। मगर डाॅ. पेम्परटन इस व्यापार में कुछ खास नहीं कर पाए थे। एक ऐसे व्यापार का अधिग्रहण करना जिसको स्थापित करने वाला कुछ खास नहीं कर पाया था। केंडलर के लिए एक साहसिक निर्णय के साथ-साथ जोखिम भरा सौदा भी था। असा केंडलर ने जोखिम लेने का निर्णय किया। केंडलर महोदय का ‘सटीक निर्णय’ ही उनकी पहचान बना। उन्होंने डाॅ. पेम्परटन के व्यापार के अधिग्रहण के समय ‘किंतु’ ‘परंतु’ जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया। उन्हें पता था, ‘कोला-कोला’ नामक उत्पाद में दम था। यह एक नये प्रकार का उत्पाद है। योजनाबद्ध ढंग से बाजारीकरण ;डंतामजपदहद्ध की रणनीति पर अमल किया जाये तो इस उत्पादन को समूचे अमेरिका में बेचा जा सकता है। उनका ‘विजन’ स्पष्ट था, ड्रिंग को पूरे अमेरिका में बेचना। इनके इसी जज्बे ने इन्हें सफलता की नई बुलंदियों पर पहुँचाया और वह व्यापार की दुनिया के ‘महानायक’ बन गए।
सन् 1882 में उन्होंने ‘कोका-कोला’ नामक उत्पाद को बेचने की विस्तृत योजना बनाई। उन्होंने स्थापित औषधि व्यापार को एक तरफ करके अपना समूचा ध्यान ‘कोका-कोला’ के बाजारीकरण पर ही केंद्रित किया। उन्होंने अपने भाई जाॅन एस. केंडलर, डाॅ जान पेम्परटन के साझीदार फ्रेंक रोबिसन तथा दो अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर जार्जिया में ‘दा कोका-कोला’ कंपनी की स्थापना की। उस समय कंपनी की कुल पूंजी 100 डाॅलर थी।
1886 में टेªडमार्क ‘कोला-कोला’ को बाजार में प्रयोग किया गया। 31 जनवरी 1891 में उसे राज्य पेटेंट कार्यालय ;ैजंजम च्ंजमदज व्ििपबमद्ध में पंजीकृत करवाया गया। कंपनी का करोबार दिनों दिन उन्नति करता गया। कंपनी के लाभ में वृद्धि होनी प्रारंभ हो गई। इसी के फलस्वरूप कंपनी ने कंपनी के एक शेयर पर एक डाॅलर का लभांश ;क्पअपकमदकद्ध दिया। जिससे कंपनी के निवेशकों में कंपनी प्रति विश्वास और अधिक सदृढ़ हुआ।
केंडलर का ‘निर्णय’ अब तक अपनी पहचान बना चुका था। जो सपना डाॅ. पेम्परटन ने देखा था। उस केंडलर ने पूर्ण साकार करके दिखा दिया। ‘एक नए उत्पाद को दुनिया में पहचान दिलाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। ‘दृढ़ इच्छाशक्ति’ के सांचे में ढले व्यक्ति चुनौतियों को सहर्ष ही स्वीकार कर लेते हैं। चुनौतियों को स्वीकार करने का पारितोषिक ही उन्हें ‘सफलता’ के रूप में प्राप्त होता है। जिसने इस सिद्धांत पर अमल किया वह ‘सफल’ हुआ। चुनौतियों से मुँह मोड़ने वाले सफलता के मार्ग से भटक ही जाते हैं।
केंडलर के इस व्यापार को छोड़ने के समय कंपनी की कुल परिसंपत्ति लगभग 2.70 करोड़ डाॅलर थी। 100 डाॅलर से प्रारंभ किया गया करोबार उस समय तक लगभग 2.7 करोड डाॅलर में बदल चुका था। केंडलर की स्थिति अमेरिका के 500 माने हुए व्यापारियों में 212 वें स्थान पर थी। एक औषधि व्यापारी के रूप में अपने कैरियर का प्रारंभ करने वाले व्यक्ति के लिए यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी। यह केंडलर के लिए एक सपने के सच होने जैसा ही था।
कोका-कोला के अतिरिक्त केंडलर ने अन्य व्यापारिक क्षेत्रों में भी निवेश किया। इन्होंने अंटालटा में स्ट्रीट रेलवे में भी निवेश किया। उन्होंने स्वयं का व्यापरिक बैंक भी स्थापित किया। इन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्रा में भी हाथ आजमाये। जब जार्जिया के कपास उत्पादक आर्थिक संकट से जूझ रहे थे उस समय केंडलर ने ही आगे आकर उन्हें ऋण उपलब्ध करवाया। इन्हें इस कार्य में अच्छी खासी रकम ब्याज में रूप में अर्जित हुई।
व्यापार के अतिरिक्त इन्होंने राजनीति में भी हाथ अजमाये वह 1916 में 65 वर्ष की आयु में अंटलाटा के मेयर नियुक्त हुये। वह एक व्यापारी के अतिरिक्त एक राजनीतिक के रूप में भी ‘सफल’ हुए। इन्हें यहाँ भी सफलता मिली। इन्होंने शिक्षा एवं धार्मिक कार्य के लिए भी जी भर दान दिया। केंडलर जैसे व्यक्ति जिस क्षेत्रा में भी जाते है, वहाँ अपनी सफलता के झंडे गाड़ देते हैं। केंडलर की सफलता का रहस्य था उनकी बुलंदियों को पाने की ‘सोच’ एवं उनका ‘दृढ़निश्चिय’।
केंडलर द्वारा स्थापित कंपनी ‘कोका-कोला’ का सम्राज्य वर्तमान समय में समूची दुनिया में फैल चुका है। दुनिया का प्रत्येक व्यक्ति केंडलर के सपने को वास्तविक होते देख चुका है। भला कभी किसी ने सोचा था कि एक औषधि व्यापारी इतने बड़े व्यापारिक साम्राज्य का संस्थापक बनेगा। केंडलर की सोच ने लोगों की ‘सोच’ को भ्रांति ही बना दिया। केंडलर मिसाल हैं, अपने निर्णय पर अटल रहने की। स्वयं को प्रत्येक स्तर पर सिद्ध करके दिखाओ। घबराओं मत, हिम्मत मत हारो, सदैव प्रयासत रहो अपनी आशाओं को पंख लगाकर सफलता के उन्मुक्त गगन के उड़ने के लिए। अवश्य ही एक दिन सफलता आपके हाथों में आ जाएगी। केंडलर जैसे व्यक्ति के लिए ही किसी शायर ने किया खुब कहा हैµ
खुदी को कर बुलंद इतना, 
खुदा तुझसे यह पूछे बता तेरी रजा किया है,

2 comments:

  1. Usually, I never comment on blogs but your article is so convincing that I never stop myself to say something about it. You’re doing a great job Man. Best article I have ever read

    Keep it up!

    ReplyDelete

स्वयं पोर्टल से घर बैठें करें निःशुल्क कोर्सेज

इंटरनेट के इस दौर में पारंपरिक शिक्षा अर्थात स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी से हायर एजुकेशनल डिग्रीज हासिल करने के अलावा भी विद्यार्थी विभिन्...