अनमोल सुक्तिकोश-7

जो अवगुण तुम्हें दूसरे में दृष्टिगत हो उसे अपने भीतर न रहने दो।
-स्प्रेट
सबसे सुखी वे है, जो दूसरे के भले के लिए अधिक से अधिक नेक काम करते हैं और सबसे अधिक दुःखी वे हैं जो कुछ भला काम करते ही नहीं ओर यदि करते भी है तो कम से कम।
-फ्रैंकलिन
सुखी है वह जो इस संसार को एक स्वर्गीय उपवन में परिणत कर देता है।
-स्वामी रामतीर्थ



सच्चा पड़ौसी वह नहीं तो तुम्हारे साथ उसी मकान में रहता है, बल्कि वह है जो तुम्हारे साथ उसी विचार स्तर-पर रहता है।
-स्वामी रामतीर्थ
पुण्य के संसर्ग से पानी में परिवर्तन संसर्ग से पानी में परिवर्तन आए या न आए, पर पापी के संसर्ग से पुण्यवान पानी अवश्य बन जाता है।
-रघुवीरशरण मित्र
हर पान के लिए कोई तीर्थ यात्रा या स्नान करने सेउसका फल ना मिलने की बात कही गई है, यह एक ढोंग है, पान का फल जरूर मिलता है।
-दयानंद सरस्वती
पल्ला उसका थामों को मजबूत हो।
-इब्ने शफी
हर पल तेरे हाथ से निकला जा रहा है, तू सिर पकड़ बैठ है।
- खलील जिब्रान
परिश्रम दूसरी हर अच्छी वस्तु की तरह स्वयं ही अपना पुरस्कार है।
-अज्ञात
अच्छी और सही चीज का मजाक उठाना जिनता आसान होता है मजाक की चीज का मजाक उड़ान उतना ही सहज नहीं होता।
-रवींद्रनाथ ठाकुर
सर्वथा एकांत में हर आदमी पशु हो जाया करता है।
- खलील जिब्रान
हम सब पशु है, कर्मों ने हमारा विभाजन कर रखा है।
-विवेकानंद
यह संसार एक पहेली है, जितना डूबोग फंसते जाओगे।
-चार्वाक
फल आने पर वृक्ष विनम्र हो जाते हैं, नव जल से मेघ धरती पर लटकते हैं, सज्जन समृद्धि से विनम्र बन जाते हैं, यही परोपकारियों का स्वभाव है।
-भृर्तहरि

परीक्षा में वही खरे उतरते हैं, जिनमे आत्मविश्वास होता है।
-इमर्सन
पड़ौसी की बराबरी मत करो, अपनी चादर देखकर ही पैर फैलाओं।
-जार्ज बर्नाड शाॅ
पतन से न घबराने वाला ही उत्थान प्राप्त करता है।
-सुभाषित
परिणाम की चिंता कायर करते हैं।
-द्रोणाचार्य
मेरा उद्देश्य है कि मैं परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनूं।
-होरेस

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